शीशे के सामने बैठी वो खुद को निहार रही थी
सुर्ख उस लाल जोड़े में, वो क्या खूब धा रही थी
एक परी जो वर्षो पहले उस घर में आई थी
आने वाले कुछ पलों में होने वाली उसकी बिदाई थी
अचानक जब एक बुलावा आता है बाहर से
माँगती वो कुछ क्षण, और भी उन अंतिम क्षणों में
सोच रही क्यूँ माँगा होगा, उसने वो पल दो पल
समझाना था अंतर्मन को कुछ ,एक पुरानी पहचान खोने से पहले
या निहारानी थी अपनी सूरत उसे ,किसी और की होने से पहले
समझाया होगा उसने खुद को बहुत, मुस्कुरा के अपने आंसू भी छुपाये होंगे खूब
पली थी एक बचपन से जिस आँगन में, उसे छोड़ के जाने का दुःख आया तो होगा जरुर
असमनजस में होगा अंतर्मन उसका, कैसे कुछ पलों में वो अपनों से जाएगी बिछुर
बचपन की कुछ धुंधली यादें तभी, उसे सता तो रही होगी जरुर
कभी खुद को तो कभी खुद को जन्म देने वाली उस माँ को निहार रही थी
माँ के उस मुरझाये चेहरे में, वो अपनी खुशी तालाश रही थी
द्वंद उसके मन का, कैसी अजीब वो एक घड़ी आई थी
किसी से मिलन था तो किसी से जुदाई थी
स्थिर उस एक लड़की में, कितने हलचल थे उस वक़्त
माँगा होगा शायद उसने , इसलिए कुछ क्षण
कमरे से बाहर निकलते ही, उसे देखने वालो की भीड़ होगी
उस आंगन में जिसमे बेपरवाह दौड़ी वो कभी, कदम उसकी तभी स्थिर होगी
आत्मनिर्भर एक कली, खिली थी जिस
आंगन में
आज उस आँगन में, साथ खड़ी उसकी सहेली होगी
पाप नहीं किये हो़गे उसने, तब भी सर उसका झुका होगा
झुकी झुकी उन आँखों में, न जाने कितना मर्म छुपा होगा
किसी अंजान के हाथ में आज उसका हाथ थमाया जायेगा
ना जानते हुए भी उसे, पूर्ण विश्वास उसमे दिखाया जायेगा
कुछ पल में वो परायों के लिए अपनी बन जाएगी, कितने नए रिश्तों से जुड़ जाएगी
आज तक किसी और के घर की शोभा थी जो, अब दुसरे घर की शोभा बढाएगी
द्वन्द उसके मन का, माँ बाप कहते बेटियां परायी है, ससुराल वाले कहेंगे ये पराये घर से आई है
खुदा से एक ही सवाल होगा उसका,ये बेटियाँ किस घर क लिए बनाई है
स्थिर उस लड़की में, कितनी हलचल रही होगी उस वक़्त
मांग लिया होगा इसलिए, उसने अंतिम कुछ क्षण
महिमा सिंह
भावपूर्ण , शब्दों का उचित उपयोग
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☺☺☺
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great piece of art just a creation by a true love towards father
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Amazing and lovely piece of work. ❤️ Heart touching. The emotions flowed so easily through the words that I was amazed.
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Thank you very much punit 🙂
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Welcome. ☺️
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बहुत बढ़िया
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शुक्रिया 🙂
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बहुत खूब,वाह वाह क्या बात है महिमा जी सही चित्रन किया है विदाई का!!
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🙂 🙂
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marmsparshiya , bahut sunder
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Thank you di 🙂
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:*:*
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
मन को अभिभूत कर गयी। 😊
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शुक्रिया 🙂
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बहुत ही सुंदर कविता थी यह|
अंतिम की चार पंक्तियाँ तो दिल को छू गयीं|
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Thank you 🙂
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Nice
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Thanx
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बिदाई के समय बेटीयाँ तो रोती हैं
पर अधिक आंसू कोई और बहाते हैं
वो होते हैं “पिता…
बहुत ही खास लिखा है महिमा 👏👏
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बेटी और पिता का रिश्ता काफी अनमोल है।
शुक्रिया दीपू 🙂
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😊😊
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This is amazing 👌👌 Beautifully written .. so much intense !! 😃
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Thank you mahesh 🙂
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